acn18.com कोरबा/शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का काम समय के साथ बेहतर होने के बजाय समस्यामूलक बनता जा रहा है। राशन की पूरी मात्रा लोगों को मिला इसके लिए तौल मशीन को अपडेट किया जा रहा है। मशीनों के काम नही करने से झंझट शुरू हो गई है। इसके चलते कर्मचारी और जनता परेशान है।
यह है वह तौल मशीन जिसे नए उपकरण के साथ अपडेट किया जा रहा है। लोगों को राशन की पूरी मात्रा मिले, इसलिए तकनीकी सिस्टम के साथ मसीन को एडवांस बनाने की तैयारी है। खाद विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। किस तरीके से यह काम करेगी, इसका पूरा दारोमदार विभाग के प्रोग्रामर पर हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्र मैं इससे जुड़ा काम नहीं होने के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संचालक उपभोक्ताओं को राशन नहीं दे पा रहे हैं। आए दिन इस को लेकर समस्या हो रही है और दुकानों में विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।। ढोढतारई से आए कर्मचारी किरण सारथी ने बताया कि उनके यहां काफी समय से दिक्कतें बनी हुई है। ऐसे में हर रोज विवाद होता है। किरण ने बताया कि समस्या का समाधान करने को लेकर किसी प्रकार से गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। अगर ऐसा ही माहौल बना रहा तो उन्हें इस काम को छोड़कर दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा।
तौल मशीनों को लेकर बनी हुई समस्याओं और इनके निराकरण किए जा रहे प्रयास के बारे में हमने जिला खाद्य अधिकारी जेके सिंह से बातचीत की तो उन्होंने सीधे जवाब नहीं दिया और प्रोग्रामर पर बला टाल दी। इस पर ग्रैंड एशियन न्यूज़ की टीम ने प्रोग्रामर जगन्नाथ कश्यप और संतोष साहू की तलाश की। इस दौरान संतोष नहीं मिला। उसके विकल्प में जगन्नाथ ने गोलमोल जवाब दिया।
कलेक्टर के सीधे नियंत्रण में खाद्य विभाग अपना काम कर रहा है। सरकार की प्राथमिकता में बिजली पानी सड़क की तरह राशन व्यवस्था भी शामिल है। जिले में उपभोक्ताओं को समय पर और सही मात्रा में राशन मिले इसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था काम कर रही हैं। इसका काम ग्राम पंचायतों से लेकर सहकारी समितियां और महिलाओं के स्व सहायता समूह कर रहे हैं। आधुनिकीकरण के नाम पर जो प्रयोग पीडीएस व्यवस्था में किए जा रहे हैं उस मामले में झोल क्यों बना हुआ है यह जानने की कोशिश और समाधान करने के लिए जरूरी जतन करने से खाद्य विभाग के अधिकारी और निरीक्षक उदासीनता बरत रहे है। इससे ऐसा नजर आता है कि लोगों को मोर्चा खोलने के लिए खाद्य विभाग मजबूर कर रहा है।
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